चीन से पाँचवी पीढ़ी के 40 J-35A लड़ाकू जेट्स खरीदने जा रहा पाकिस्तान, भारत अभी तक तेजस पर अटका

भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। खबर है कि पाकिस्तान चीन से 40 J-35 फिफ्थ-जेनरेशन स्टेल्थ फाइटर जेट्स खरीदने जा रहा है। यह कदम पाकिस्तान को अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की तैनाती में भारत से आगे कर देगा, जबकि भारतीय वायुसेना के फिफ्थ-जेनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट, एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) MkI, को सेवा में आने में अभी 7-9 साल लग सकते हैं।

रणनीतिक संतुलन पर असर

J-35A विमानों की तैनाती पाकिस्तान को तकनीकी बढ़त दे सकती है, जिससे दक्षिण एशिया में रणनीतिक संतुलन बदल सकता है। यह भारत के लिए चिंताजनक है, क्योंकि पाकिस्तान 2047 तक लगभग 450 पांचवीं पीढ़ी के विमानों के साथ एक एडवांस एयरफोर्स बनाने की योजना पर काम कर रहा है। इसके अलावा, पाकिस्तान तुर्की और चीनी तकनीक आधारित स्वदेशी विमानों को भी शामिल करने का लक्ष्य रखता है।

भारत के लिए रणनीतिक कदम

इस स्थिति से निपटने के लिए भारतीय वायुसेना को अपनी योजनाओं में तेजी लानी होगी। AMCA को बिना किसी और देरी के समय पर तैयार करना होगा। एक बार डिजाइन फाइनल होने के बाद इसकी प्रोडक्शन क्षमता को बढ़ाना जरूरी है। अगली पीढ़ी के विमानों के आने तक मौजूदा प्लेटफॉर्म जैसे LCA तेजस Mk2, की संख्या बढ़ाकर अंतर को पाटा जा सकता है। भारत को अभी से छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान डिज़ाइन और निर्माण पर काम शुरू कर देना चाहिए। यह भविष्य में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा बनाए रखने और नई तकनीक अपनाने में मदद करेगा।

Read also- Railways: एक वंदे भारत को बनाने मे खर्च होते हैं इतने करोड़, बनाने मे लगता है इतना समय

पाकिस्तान की तरह चीन के साथ संबंधों का लाभ उठाने के बजाय, भारत को भी तकनीकी साझेदारी और सह-विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग तलाशना चाहिए। इससे नए विमानों के विकास चक्र को तेज किया जा सकता है।

रक्षानीति में बदलाव लाते हुए, अनुसंधान एवं विकास (R&D) और उन्नत प्लेटफॉर्म्स की खरीद में अधिक निवेश करना होगा। यह खास तौर पर जरूरी है, क्योंकि चीन की वायुसेना (PLAAF) भी पांचवीं पीढ़ी के विमानों की ओर तेजी से बढ़ रही है। इससे पाकिस्तान और चीन के बीच सामरिक तालमेल की संभावनाएं बढ़ेंगी।

भारत को सतर्क रहना होगा

भारतीय वायुसेना को एक ऐसा रोडमैप तैयार करना होगा, जिससे वह पाकिस्तान और चीन के मिलकर काम करने की स्थिति का सामना कर सके। उन्नत स्टेल्थ क्षमताओं के साथ संभावित खतरों को देखते हुए, अगले कुछ वर्षों में निर्णायक कदम उठाना अनिवार्य है।

भारत को समय पर तकनीकी रूप से सक्षम और शक्तिशाली वायुसेना तैयार करनी होगी, ताकि वह किसी भी चुनौती का सामना कर सके और क्षेत्र में अपनी सुरक्षा बनाए रखे।

Leave a Comment