Who are Naga Sadhus: नागा साधु हिंदू धर्म के सन्यासी होते हैं, जो मुख्यतः शैव या वैष्णव संप्रदाय से जुड़े होते हैं। ये सांसारिक जीवन का त्याग करके पूरी तरह से आध्यात्मिक साधना, ध्यान और ईश्वर की आराधना के लिए समर्पित होते हैं। “नागा” का अर्थ संस्कृत में “नग्न” होता है, क्योंकि ये साधु पारंपरिक रूप से नग्न रहते हैं। यह उनके द्वारा भौतिक जीवन और सामाजिक नियमों के पूर्ण त्याग का प्रतीक है।
नागा साधु अखाड़ों (मठों) से जुड़े होते हैं और कुंभ मेले और महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों में अहम भूमिका निभाते हैं। उनकी पहचान उनके विशिष्ट रूप से होती है, जैसे जटाजूट बाल, भस्म-लिप्त शरीर और त्रिशूल जैसे हथियार। ये साधु गहरी भक्ति और वैराग्य का प्रदर्शन करते हैं।
महाकुंभ के बाद नागा साधु अपना जीवन कैसे बिताते हैं?
महाकुंभ या कुंभ मेले के समापन के बाद, नागा साधु अपने अलग-थलग आध्यात्मिक जीवन की ओर लौट जाते हैं। उनके दैनिक जीवन की दिनचर्या सख्त तपस्या और ध्यान पर आधारित होती है। महाकुंभ के बाद उनका जीवन इस प्रकार होता है:
अखाड़ों या साधना स्थलों में लौटना
नागा साधु अक्सर अपने अखाड़ों, मठों, या जंगलों, गुफाओं, या हिमालय के क्षेत्रों में स्थित आश्रमों में निवास करते हैं।
ध्यान और योग
ध्यान और योग उनके आध्यात्मिक जीवन का आधार है। वे ईश्वर से जुड़ने या आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने के लिए लंबे समय तक ध्यान करते हैं।

स्वावलंबन
वे बेहद साधारण जीवन जीते हैं और अपनी आवश्यकताओं के लिए प्रकृति, भिक्षा या स्थानीय समुदाय पर निर्भर रहते हैं। यह उनके भौतिक वस्त्रों और संपत्ति के त्याग के व्रत के अनुरूप है।
धार्मिक गतिविधियाँ
नागा साधु शिव, विष्णु या अपने संप्रदाय के देवता की आराधना करते हैं।
वे तपस्या (तप) करते हैं ताकि अपने मन और आत्मा को शुद्ध कर सकें।
अग्नि पूजा (यज्ञ) और पवित्र मंत्रों का जाप करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा होता है।
सार्वजनिक उपस्थिति
वे कभी-कभी अन्य त्योहारों, पवित्र स्नानों और विशेष आयोजनों जैसे अमावस्या या एकादशी में भाग लेते हैं। हालांकि, वे सार्वजनिक संपर्क की तुलना में एकांत को अधिक पसंद करते हैं।
शिष्यों को प्रशिक्षण
वरिष्ठ नागा साधु नए साधुओं को दीक्षा देकर कठोर साधना की शिक्षा देते हैं और अपने आध्यात्मिक वंश को बनाए रखते हैं।
मुक्ति (मोक्ष) पर ध्यान
नागा साधुओं का अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना होता है, यानी जन्म और मृत्यु के चक्र से छुटकारा। वे अपनी साधना और तपस्या इसी आध्यात्मिक स्वतंत्रता को पाने के लिए करते हैं।

महाकुंभ के बाद उनके त्याग का महत्व
महाकुंभ एक सामूहिक आध्यात्मिक एकता का समय होता है। इसके बाद नागा साधु अपनी व्यक्तिगत साधना की ओर लौट जाते हैं। उनका अलग-थलग और अनुशासित जीवन पूर्ण रूप से आध्यात्मिकता के प्रति समर्पण का उदाहरण है। उनका उद्देश्य आत्मज्ञान प्राप्त करना और प्रकृति एवं ईश्वर के साथ सामंजस्य में रहना है।
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