8th pay commission: सरकार ने 8वें वेतन आयोग को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है, जिससे सरकारी कर्मचारी और पेंशनभोगी हताश हो गए हैं। वेतन आयोग की स्थापना की आस लगाए लाखों कर्मचारियों के लिए यह खबर किसी झटके से कम नहीं है।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने हाल ही में राज्यसभा में स्पष्ट किया कि फिलहाल 2025-26 के केंद्रीय बजट में 8वें वेतन आयोग की कोई योजना नहीं है। यह बयान उन सभी उम्मीदों पर विराम लगाता है, जो वेतन में संशोधन और आर्थिक राहत को लेकर की जा रही थीं।
क्यों बढ़ी मायूसी?
सरकारी कर्मचारियों के लिए हर 10 साल में नया वेतन आयोग उनकी आर्थिक स्थितियों को सुधारने और महंगाई से मुकाबला करने का जरिया रहा है। यह परंपरा उनके जीवन स्तर को बनाए रखने का एक अहम साधन मानी जाती रही है। लेकिन इस बार, 8वें वेतन आयोग की घोषणा का कोई संकेत न मिलने से कर्मचारी और पेंशनभोगी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
क्यों है यह बड़ा मसला?
वेतन आयोग (8th pay commission) का अभाव न केवल कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी को रोकता है, बल्कि पेंशनभोगियों को भी आर्थिक संतुलन बनाए रखने में मुश्किल खड़ी करता है। हर बार की तरह इस बार भी आयोग की सिफारिशों से वेतन में बड़ी वृद्धि की उम्मीद थी, जो अब अनिश्चितता के घेरे में है।
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आगे की राह क्या?
सरकार के इस फैसले से कर्मचारी संघ और पेंशनभोगी संगठनों में हलचल तेज हो सकती है। अपनी मांगों को लेकर ये संघ और संगठन सरकार पर दबाव डालने की कोशिश कर सकते हैं। बेहतर आर्थिक सुरक्षा और महंगाई के साथ तालमेल बैठाने के लिए आने वाले दिनों में प्रदर्शन और चर्चा बढ़ने की संभावना है।
कर्मचारियों के मन में सवाल
सरकार के इस फैसले से सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के मन में यह सवाल खड़ा हो गया है कि वेतन और पेंशन में अगला संशोधन कब होगा? बढ़ती महंगाई और जीवन यापन के खर्चों के बीच क्या सरकार उनकी आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए आगे कोई कदम उठाएगी?
फिलहाल, सरकार की ओर से मिली यह निराशा कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। वे उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी स्थिति पर फिर से विचार किया जाएगा और वेतन संशोधन (8th pay commission) से जुड़ी कोई सकारात्मक पहल होगी।