मोदी सरकार मे रुपये और शेयर बाजार- दोनों का बुरा हाल, ऑल टाईम लो पर पहुंची कीमत

Rupee: भारतीय रुपया 10 मार्च 2025 को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 38 पैसे गिरकर 87.33 के स्तर पर आ गया, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले 10 फरवरी 2025 को भी रुपया 44 पैसे की गिरावट के साथ 87.94 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा था।

रुपये की इस गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों द्वारा की जा रही बिकवाली और वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंकाओं ने रुपये पर दबाव बढ़ाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा स्टील और एल्युमीनियम आयात पर 25% टैरिफ लगाने की योजना से वैश्विक व्यापार युद्ध की चिंताएं बढ़ी हैं, जिससे निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है।

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रुपये की इस कमजोरी का सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था और आम जनता पर पड़ता है। आयातित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होगी, जिससे महंगाई दर बढ़ सकती है। विदेश यात्रा, शिक्षा और अन्य अंतरराष्ट्रीय खर्च भी महंगे हो जाएंगे, क्योंकि अब एक डॉलर के लिए अधिक रुपये खर्च करने पड़ेंगे।

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मुद्रा विनिमय दरें विदेशी मुद्रा भंडार, व्यापार घाटा और विदेशी पूंजी प्रवाह जैसे कारकों पर निर्भर करती हैं। इन कारकों में बदलाव से रुपये की विनिमय दर प्रभावित होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि रुपये की यह गिरावट अस्थायी हो सकती है, लेकिन आयातकों और उपभोक्ताओं को निकट भविष्य में बढ़ती कीमतों के लिए तैयार रहना चाहिए।

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