Devraha Baba: देवराहा बाबा भारतीय अध्यात्म और रहस्यमयी योगी परंपरा के एक अद्भुत व्यक्तित्व थे। उनकी अलौकिक शक्तियों और अज्ञेय जीवनकाल को लेकर अनेक किंवदंतियां हैं। प्रयागराज और देवरिया से उनका गहरा संबंध रहा।
प्रयागराज के प्रति Devraha Baba का विशेष लगाव:
माघ मेले और कुंभ मेले के समय बाबा का प्रयागराज आना और वहां गंगा किनारे मचान पर तपस्या करना उनकी विशेषता थी। इस मचान का आधा भाग खुला होता था, जो उनके ध्यान और साधना का प्रतीक था। इस स्थल को देखने लोग बड़ी संख्या में आते थे।
Devraha Baba की आध्यात्मिक सिद्धियां:
महर्षि पतंजलि के योग दर्शन को आगे बढ़ाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने अष्ट सिद्धियां और नव निधियां प्राप्त की थीं और वे ब्रह्मलीन अवस्था में रहते थे। उनके शिष्यों और अनुयायियों ने उनके अद्भुत कार्यों का अनुभव किया और उन्हें दिव्य योगी माना।
वैज्ञानिकों की चुनौती:
1976 में इलाहाबाद के महाकुंभ में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक उनके उम्र और शारीरिक रहस्यों को जानने आए। उनकी तकनीकें बाबा पर काम नहीं कर पाईं। बाबा ने कहा था कि उनका शरीर ईश्वर प्रदत्त है और उन पर उपकरणों का प्रभाव नहीं होगा। यह घटना बाबा की अलौकिकता को और रहस्यमय बनाती है।
Devraha Baba Ke Chamatkar: चमत्कारी घटनाएं:
मथुरा प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और उनके शिष्य शैलजा कांत मिश्रा ने बताया कि उनके पिस्तौल ने बाबा के सामने काम करना बंद कर दिया। यह घटना उनकी शक्तियों का अद्भुत प्रमाण मानी जाती है।
देवराहा बाबा जैसे व्यक्तित्व मानव चेतना के विस्तार और योग की संभावनाओं को दिखाते हैं। उनका जीवन रहस्यमयी था, लेकिन उन्होंने हमेशा योग और साधना के माध्यम से मनुष्यों को जीवन के गूढ़ अर्थ समझाने का प्रयास किया।
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