प्रकृति संरक्षण पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का जोर: पिंजौर जटायु केंद्र में 25 गिद्ध हुए मुक्त, गौरैया संरक्षण पर भी विशेष फोकस

चंडीगढ़, 17 दिसंबर – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि प्रकृति का संरक्षण और संवर्धन प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। उन्होंने जंगलों की कटाई को जानवरों और पक्षियों के लिए आश्रय की कमी का मुख्य कारण बताया और सभी से अधिक से अधिक पौधे लगाने तथा पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने की अपील की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि धरती, आकाश और जल में रहने वाले प्रत्येक जीव का प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान होता है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए की जा रही पहल की सराहना की। इसी दिशा में राज्य सरकार ने लुप्तप्राय गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया है। इसके लिए जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र, पिंजौर की स्थापना की गई है, जहां वर्तमान में 378 गिद्ध मौजूद हैं।

मुख्यमंत्री ने यह बातें आज बीर शिकारीगाह वन्यजीव अभयारण्य के पास पिंजौर स्थित जटायु संरक्षण केंद्र में 25 गिद्धों को मुक्त करने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कही। इस अवसर पर वन एवं पर्यावरण मंत्री राव नरबीर सिंह और कालका विधायक श्रीमती शक्ति रानी शर्मा भी उपस्थित थीं।

मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी ने बताई गिद्धों की गिरती संख्या के पीछे की वजह
मुख्यमंत्री ने बताया कि 1990 के दशक में गिद्धों की संख्या करोड़ों में थी, लेकिन धीरे-धीरे यह लाखों में सिमट गई। इसका मुख्य कारण डेयरी जानवरों में डिक्लोफेनाक इंजेक्शन का प्रयोग था। जब गिद्धों ने इन जानवरों के शवों को खाया, तो इंजेक्शन के अवशेषों ने उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला और इस प्रजाति को विलुप्ति के कगार पर पहुंचा दिया।

nayab singh saini jatayu centre

जटायु संरक्षण एवं प्रज*नन केंद्र का योगदान
मुख्यमंत्री ने बताया कि गिद्ध संरक्षण के लिए हरियाणा सरकार ने बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के साथ समझौता किया। पिंजौर में गिद्धों की संख्या बढ़ाने के लिए प्राकृतिक और कृत्रिम प्रज*नन दोनों तरीकों का इस्तेमाल किया गया। आज यह केंद्र भारत ही नहीं, बल्कि एशिया का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है।

संख्या का विवरण:
97 सफेद-पीठ वाले गिद्ध
219 लंबे-चोंच वाले गिद्ध
62 पतली-चोंच वाले गिद्ध

अब तक (नवंबर 2024 तक) कुल 404 चूजे पैदा हुए हैं।
आज कार्यक्रम में 25 सफेद-पीठ वाले गिद्धों को खुले आकाश में छोड़ा गया।
केंद्र में विभिन्न प्रकार के ऐविएरी (गिद्धों के लिए विशेष पिंजरे) बनाए गए हैं, जैसे:

8 नर्सरी ऐविएरी
6 कॉलोनी ऐविएरी
8 होल्डिंग ऐविएरी
4 अस्पताल ऐविएरी
8 प्रजनन ऐविएरी
1 ग्रीन ऐविएरी
1 रिलीज ऐविएरी

नई पहल – गौरैया संरक्षण पर भी जोर
मुख्यमंत्री ने जटायु संरक्षण केंद्र की टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए गौरैया पक्षी (गोरैया) के संरक्षण के लिए भी काम करने का सुझाव दिया और सरकार की ओर से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। इसके अलावा, उन्होंने माता मनसा देवी परिसर में हाल ही में एक पक्षी निवास का उद्घाटन किए जाने की भी जानकारी दी।

कार्यक्रम के दौरान पिंजौर गिद्ध संरक्षण केंद्र पर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई। इस मौके पर पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री आनंद मोहन शरण ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए विभाग की गतिविधियों की जानकारी साझा की।

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