सरसों का तेल या रिफाइंड: कौन सा है सेहत के लिए फायदेमंद और नुकसानदायक?

Sarso Oil vs Refined Oil: आजकल बढ़ती बीमारियों और मोटापे को देखते हुए लोग अपने खानपान को लेकर सतर्क हो गए हैं। खासकर खाना पकाने के तेल को लेकर बहुत से लोगों के मन में सवाल होते हैं कि कौन सा तेल स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। भारत में मुख्य रूप से सरसों का तेल और रिफाइंड तेल का उपयोग किया जाता है। पहले के समय में सरसों का तेल अधिक प्रचलित था, लेकिन हाल के दशकों में रिफाइंड तेल का उपयोग तेजी से बढ़ा है। हालांकि, सेहत के लिहाज से कौन सा तेल बेहतर है, यह जानना जरूरी है।

रिफाइंड तेल और सरसों तेल में अंतर

रिफाइंड तेल वनस्पति या पौधों से रासायनिक प्रक्रियाओं के माध्यम से प्राप्त किया जाता है, जबकि सरसों का तेल सरसों के बीज को कुचलकर प्राप्त किया जाता है। रिफाइंड तेल को अधिक प्रोसेसिंग से गुजरना पड़ता है, जिससे इसमें मौजूद प्राकृतिक पोषक तत्व कम हो सकते हैं। वहीं, सरसों का तेल पारंपरिक तरीकों से निकाला जाता है, जिससे इसके पोषक तत्व बने रहते हैं।

सरसों तेल और रिफाइंड तेल के पोषक तत्व

अगर पोषण की दृष्टि से देखें तो 100 ग्राम सरसों तेल और रिफाइंड तेल में लगभग 884 किलो कैलोरी ऊर्जा होती है। हालांकि, इनके फैटी एसिड की मात्रा अलग-अलग होती है।

सैचुरेटेड फैट: सरसों तेल में 14.4 ग्राम और रिफाइंड में 11.58 ग्राम
मोनोअनसैचुरेटेड फैट: सरसों तेल में 23.3 ग्राम और रिफाइंड में 59.18 ग्राम
पॉलीअनसेचुरेटेड फैट: सरसों तेल में 57.9 ग्राम और रिफाइंड में 21.23 ग्राम

सरसों तेल के स्वास्थ्य लाभ

रोगाणुओं के विकास को रोकने में सहायक
सरसों का तेल अपने एंटी-माइक्रोबियल गुणों के कारण शरीर में हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस के विकास को रोकता है। शोधों के अनुसार, यह अन्य तेलों की तुलना में अधिक प्रभावी साबित हुआ है।

त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद
सरसों के तेल से मालिश करने से त्वचा के ऊतकों को मजबूती मिलती है और यह बालों के स्वास्थ्य में भी सुधार करता है। एक अध्ययन में पाया गया कि बच्चों की त्वचा को सरसों तेल से मालिश करने पर यह और भी बेहतर हो जाती है।

ब्लड शुगर कंट्रोल करने में सहायक
सरसों के तेल में मौजूद मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करके ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है।

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दिल के रोगों से बचाव
सरसों का तेल हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है क्योंकि इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करता है और दिल की बीमारियों के जोखिम को कम करता है।

    कैंसर को रोकने में मददगार
    शोधों में पाया गया है कि सरसों के बीजों में एलिल आइसोथियोसाइनेट नामक तत्व पाया जाता है, जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोक सकता है।

    सूजन कम करने में मददगार
    सरसों के तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जिससे गठिया जैसी बीमारियों के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, इसमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है।

    रिफाइंड तेल के नुकसान

    रिफाइंड तेल को अधिक प्रोसेसिंग से गुजरना पड़ता है, जिससे इसमें ट्रांस फैट बनने की संभावना रहती है। यह ट्रांस फैट शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है। इसके अलावा, अधिक मात्रा में सेवन करने से यह मोटापा, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।

    आपको कौन सा तेल खाना चाहिए?

    अगर सेहत की बात करें तो सरसों का तेल रिफाइंड तेल की तुलना में अधिक फायदेमंद होता है। यह हृदय स्वास्थ्य, ब्लड शुगर नियंत्रण और त्वचा के लिए अच्छा होता है। हालांकि, कुछ लोगों को सरसों के तेल का तीखा स्वाद पसंद नहीं आता है, इसलिए वे रिफाइंड तेल का उपयोग करते हैं। लेकिन अगर आप स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हैं, तो सरसों का तेल बेहतर विकल्प हो सकता है।

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