UPPCL Guidelines: उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ी खबर सामने आई है। एक तरफ सरकार ने टोल फ्री नंबर 1912 की सेवा को बेहतर करने के निर्देश दिए हैं, वहीं दूसरी तरफ बिजली के निजीकरण को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। पूरा मामला क्या है? आइए आपको विस्तार से बताते हैं।
1912 सेवा होगी और बेहतर, उपभोक्ताओं को मिलेगा बेहतर रिस्पॉन्स
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन (UPPCL) के चेयरमैन डॉ. आशीष कुमार गोयल ने आदेश जारी किए हैं कि टोल फ्री नंबर 1912 की सेवा को और मजबूत बनाया जाए।
उन्होंने कहा है कि उपभोक्ता जब 1912 पर कॉल करता है, तो वो उम्मीद करता है कि उसकी समस्या सुनी जाएगी और हल होगी। इसलिए अब कॉल सेंटर में काम करने वाले कर्मचारियों को खास ट्रेनिंग दी जाएगी।
इस ट्रेनिंग में कर्मचारियों को सिखाया जाएगा कि वो उपभोक्ताओं से शालीनता से बात करें, उनकी शिकायतों को ध्यान से सुनें और जल्द से जल्द समाधान कराएं।
गर्मियों के दिनों में बिजली की समस्या ज्यादा आती है, ऐसे में चेयरमैन ने सभी डिस्कॉम प्रबंध निदेशकों को आदेश दिए हैं कि अपने-अपने कॉल सेंटर का निरीक्षण करें और ये सुनिश्चित करें कि उपभोक्ताओं से अच्छा व्यवहार हो।
इसके अलावा, जब भी कहीं बिजली का कोई व्यवधान हो, तो उसकी जानकारी तुरंत कॉल सेंटर को दी जाए। ताकि उपभोक्ताओं को मैसेज के जरिए तुरंत जानकारी दी जा सके। और जैसे ही बिजली ठीक हो, उपभोक्ता को फिर से मैसेज भेजा जाए।
बिजली निजीकरण पर बवाल, भ्रष्टाचार के आरोप
अब बात करते हैं सबसे बड़े विवाद की – उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण का मामला। 42 जिलों की बिजली के निजीकरण के लिए सरकार ने तकनीकी सलाहकार का चयन करना शुरू कर दिया है।
इसमें ग्रांट थार्नटन नाम की कंपनी सबसे आगे चल रही है। उसकी फाइनेंशियल बिड बाकी कंपनियों से काफी कम है। बताया जा रहा है कि ग्रांट थार्नटन की बिड ढाई करोड़ रुपये से कम है, जबकि बाकी कंपनियों की बिड 10 करोड़ से ज्यादा की है।
लेकिन यहीं से शुरू होता है विवाद…
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा और बिजली कर्मचारी संगठनों ने इस पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उनका आरोप है कि ये टेंडर पहले से फिक्स था। तीनों कंपनियां आपस में मिली हुई हैं और पूरा खेल पहले से सेट था।
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उन्होंने कहा है कि ये सीधे-सीधे करोड़ों की संपत्ति लूटने की साजिश है। संगठनों का कहना है कि तीनों कंपनियां हितों के टकराव के दायरे में आती हैं, फिर भी सिर्फ तीन का ही टेंडर कराया गया ताकि नियम पूरे हो जाएं।
कर्मचारियों और उपभोक्ताओं ने उठाई आवाज, योगी सरकार से कार्रवाई की मांग
अब बिजली कर्मचारी और उपभोक्ता संगठन खुलकर सामने आ गए हैं। उनका कहना है कि ये पूरा मामला भ्रष्टाचार का है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इसमें तुरंत दखल देना चाहिए।
उनकी मांग है कि इस पूरे निजीकरण की प्रक्रिया को रोका जाए और भ्रष्टाचार में शामिल अफसरों पर सख्त कार्रवाई हो।
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