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श्री कृष्ण स्तुति: इसके पाठ मात्र से मिल जाता है सम्पूर्ण भागवत का फल (Krishna stuti)

श्री कृष्ण स्तुति

श्री कृष्ण स्तुति

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🌸 श्री कृष्ण स्तुति 🌸

नमः श्रीकृष्णचन्द्राय परिपूर्णतमाय च।
असंख्याण्डाधिपतये गोलोकपतये नमः॥१॥

श्रीराधापतये तुभ्यं व्रजाधीशाय ते नमः।
नमः श्रीनन्दपुत्राय यशोदानन्दनाय च॥२॥

देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते।
यदूत्तम जगन्नाथ पाहि मां पुरुषोत्तम॥३॥

वाणी सदा ते गुणवर्णने स्यात्।
कर्णौ कथायां मम दोष च कर्मणि।
मनः सदा त्वच्चरणारविन्दयोः।
दृशौ स्फुरद्धाम विशेषदर्शने॥४॥

अर्थ (भावार्थ):
हे श्रीकृष्ण! आपको बारम्बार नमस्कार है, आप परिपूर्णतम हैं, असंख्य ब्रह्माण्डों के स्वामी और गोलोक के अधिपति हैं। आप श्रीराधा के स्वामी, व्रज के अधीश और यशोदा-नंदन हैं। हे देवकीनंदन, गोविंद, वासुदेव, जगत्पति और श्रेष्ठ यदुवंशी, कृपया मेरी रक्षा करें।

ॐ नमो भगवते वासुदेवाये (श्री कृष्ण स्तुति)

मेरी वाणी सदा आपके गुणगान में लगे, कान आपकी कथाओं में रमे, कर्मों में कोई दोष न हो। मेरा मन आपके चरणारविंद में सदा लगा रहे और नेत्र आपके दिव्य धाम के दर्शन करते रहें।

स्रोत:
इति श्री गर्गसंहितायाम् मथुराखण्डे अक्रूरकृत श्रीकृष्ण स्तुतिः

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