सरकार के लिए सिरदर्द बनी SGB Gold Bond Scheme, क्या हो जाएगी बंद?

SGB Scheme: नमस्कार दोस्तों! आज की इस लेख में हम बात करने वाले हैं एक ऐसी सरकारी योजना के बारे में, जिसने शुरुआत में निवेशकों को तो फायदा पहुंचाया, लेकिन अब सरकार के लिए ये स्कीम सिरदर्द बनती जा रही है। जी हां, हम बात कर रहे हैं सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) स्कीम की। क्या सरकार इस योजना को बंद करने जा रही है? आखिर क्यों बढ़ा सरकार पर आर्थिक बोझ? चलिए जानते हैं पूरी खबर विस्तार से।

SGB स्कीम की शुरुआत और मकसद
दोस्तों, साल 2015 में केंद्र सरकार ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम शुरू की थी। इसका मकसद था देश में सोने के आयात को कम करना और लोगों को डिजिटल तरीके से निवेश की तरफ बढ़ाना। साथ ही सोने की फिजिकल डिमांड को भी घटाना था, ताकि विदेशी मुद्रा की बचत हो सके।

लेकिन अब, सोने की कीमतें जिस तेजी से बढ़ी हैं, उसने सरकार के ऊपर बड़ा आर्थिक दबाव बना दिया है।

सरकार पर कितना बढ़ा बोझ?
एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार को अब तक इस स्कीम से करीब 13 बिलियन डॉलर यानी 1.08 लाख करोड़ रुपये का भार उठाना पड़ा है। इसकी सबसे बड़ी वजह है गोल्ड बॉन्ड्स की मैच्योरिटी पर मिलने वाली भारी रकम और उस पर मिलने वाला ब्याज।

जरा सोचिए, 2016-17 में SGB की कीमत थी 2,943 रुपये प्रति ग्राम, लेकिन आज वही बॉन्ड 8,634 रुपये प्रति ग्राम पहुंच चुका है। यानी निवेशकों को अब तक लगभग 193% का जबरदस्त रिटर्न मिला है। और इसके ऊपर हर साल 2.5% का ब्याज अलग से मिलता है।

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क्या बंद हो जाएगी SGB स्कीम?
अब सवाल उठता है कि क्या सरकार इस स्कीम को बंद करने जा रही है? दरअसल, बढ़ते आर्थिक बोझ को देखते हुए ऐसी चर्चाएं जोरों पर हैं। इस साल सरकार ने अभी तक किसी भी नई SGB सीरीज की घोषणा नहीं की है।

यानी साफ है कि सरकार इस योजना को लेकर सोच में है। अगर सोने की कीमतें ऐसे ही बढ़ती रहीं, तो सरकार के लिए इस स्कीम को जारी रखना भारी पड़ सकता है।

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