Property Rights: भारत में जमीन और संपत्ति से जुड़े विवाद हमेशा ही चिंताजनक मुद्दा रहे हैं। खासकर जब यह अवैध कब्जों और मालिकाना हक से जुड़ा हो, तब समस्याएँ और जटिल हो जाती हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसने भूमि मालिकाना हक और अवैध कब्जे के मामलों में नई स्पष्टता प्रदान की है।
12 साल तक कब्जा करने पर मिलेगा मालिकाना हक
सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस नए निर्णय में कहा है कि यदि कोई व्यक्ति किसी निजी संपत्ति पर 12 साल तक लगातार कब्जा बनाए रखता है और उस दौरान वास्तविक मालिक द्वारा कोई आपत्ति नहीं जताई जाती, तो कब्जाधारी को उस संपत्ति का वैध मालिक माना जाएगा। हालांकि, यह नियम सरकारी भूमि पर लागू नहीं होता। सरकारी जमीनों के लिए इस सीमा को 30 साल तक बढ़ा दिया गया है।
यह फैसला भारत में जमीन विवादों को सुलझाने के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है, लेकिन साथ ही संपत्ति मालिकों के लिए एक चेतावनी भी है कि वे अपनी संपत्तियों पर नियमित नजर रखें।
फैसले का कानूनी पक्ष
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि भारतीय कानून के तहत किसी भूमि पर मालिकाना हक का दावा 12 साल के भीतर किया जाना चाहिए। यदि मालिक इस अवधि के अंदर कदम नहीं उठाते हैं, तो उनकी संपत्ति पर कब्जाधारी का अधिकार बन सकता है।
इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने इस बात को खारिज किया कि कोई व्यक्ति केवल वसीयत या पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से किसी संपत्ति का मालिक बन सकता है। संपत्ति पर कानूनी अधिकार पाने के लिए समय सीमा और कानूनी प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य होगा।
किराए पर दी गई प्रॉपर्टी पर नियम लागू
सुप्रीम कोर्ट ने किराए पर दी गई संपत्तियों के मामलों में भी इस नियम को लागू बताया है। यदि किसी किराएदार ने किसी मकान या भूमि पर 12 साल तक कब्जा बनाए रखा है और इस दौरान मकान मालिक ने कोई आपत्ति नहीं जताई, तो किराएदार को भी उस संपत्ति का कानूनी मालिक माना जा सकता है।
यह नियम प्रॉपर्टी मालिकों के लिए चेतावनी है कि वे अपनी किरायेदारियों पर ध्यान दें और नियमित तौर पर किरायेदारों के साथ संबंधों और संपत्ति की स्थिति पर नजर रखें।
सरकारी संपत्तियों पर कोई अधिकार नहीं
यह निर्णय केवल निजी संपत्तियों पर लागू होता है। सरकारी भूमि और संपत्तियों के मामले में, कब्जे का कानूनी अधिकार पाने की समय सीमा 30 साल तक है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकारी भूमि पर किसी भी तरह का कब्जा गैरकानूनी माना जाएगा और इससे संबंधित शिकायत दर्ज करने के लिए कोई भी समय सीमा नहीं होनी चाहिए।
संपत्ति मालिकों के लिए चेतावनी
यह फैसला संपत्ति मालिकों के लिए एक अहम सबक है। अपनी भूमि और संपत्तियों पर किसी तरह के कब्जे से बचने के लिए, उन्हें नियमित रूप से अपनी संपत्तियों की जांच करनी चाहिए। संपत्ति से संबंधित विवादों में कानूनी कार्रवाई जल्द से जल्द करनी होगी ताकि कब्जाधारियों के अधिकारों का दावा न बन सके।
यात्रियों को खास तोहफा, 2025 मे कौन सी योजना पर काम कर रहा Indian Railways