हफ्ते मे 48 घंटे काम करना होगा जरूरी, 3 दिन मिलेगी छुट्टी (budget 2025)

भारत सरकार देश के श्रम कानूनों को सरल और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से नए लेबर कोड लागू करने जा रही है। इस बदलाव का उद्देश्य कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा मजबूत करना और नियोक्ताओं के लिए प्रक्रियाओं को अधिक सरल बनाना है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2025 के बजट में इन कोड्स को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की घोषणा कर सकती हैं।

काम के घंटे होंगे 12, लेकिन हफ्ते में कुल 48 घंटे
नए लेबर कोड्स के तहत कर्मचारियों के दैनिक काम के घंटे 8 से बढ़कर 12 घंटे हो सकते हैं। हालांकि, हफ्ते में कुल कार्य समय 48 घंटे तक ही सीमित रहेगा। इसका मतलब यह है कि हफ्ते में चार दिन काम और तीन दिन आराम का विकल्प होगा।

तीन चरणों में लागू होंगे कोड्स
इन कोड्स को धीरे-धीरे लागू किया जाएगा ताकि विभिन्न आकार की कंपनियां बदलाव के लिए तैयारी कर सकें:

पहला चरण: 500 से अधिक कर्मचारियों वाली बड़ी कंपनियों पर।
दूसरा चरण: 100-500 कर्मचारियों वाली मझोली कंपनियों पर।
तीसरा चरण: 100 से कम कर्मचारियों वाली छोटी कंपनियों पर।
MSME सेक्टर, जो देश के उद्योग का 85% से अधिक है, को बदलाव अपनाने के लिए दो साल का समय दिया जाएगा।

ड्राफ्ट नियम मार्च 2025 तक तैयार
लेबर मंत्रालय ने राज्यों के साथ मिलकर कोड ऑन वेजेस और सोशल सिक्योरिटी कोड के ड्राफ्ट पर काम शुरू कर दिया है। उम्मीद है कि 2025 तक ये अंतिम रूप ले लेंगे।

नए लेबर कोड में चार प्रमुख हिस्से

सरकार ने 29 श्रम कानूनों को चार व्यापक कोड्स में समाहित किया है:

कोड ऑन वेजेस – न्यूनतम वेतन और समय पर भुगतान।
सोशल सिक्योरिटी कोड – पीएफ, पेंशन, बीमा।
इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड – औद्योगिक विवाद और नौकरी से जुड़े अधिकार।
ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड – कार्यस्थल पर स्वास्थ्य और सुरक्षा।
कर्मचारियों और नियोक्ताओं पर प्रभाव

कर्मचारियों के लिए-

सामाजिक सुरक्षा मजबूत: PF कटौती बढ़ने से रिटायरमेंट फंड में वृद्धि होगी।
टेक-होम सैलरी में कमी: बढ़ी हुई कटौती के कारण मासिक सैलरी थोड़ी कम हो सकती है।
वर्क-लाइफ बैलेंस: तीन दिन आराम से उत्पादकता और संतोष बढ़ सकता है।

नियोक्ताओं के लिए-

श्रम कानूनों का पालन करना आसान होगा।
कर्मचारियों की बेहतर सुरक्षा से कार्यक्षमता में वृद्धि हो सकती है।
क्या मिलेगा कर्मचारियों को?
हफ्ते में चार दिन काम करने का विकल्प।
काम के घंटे बढ़ेंगे, लेकिन हर हफ्ते ज्यादा आराम।
लंबी अवधि में बेहतर सेवानिवृत्ति लाभ।

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