2008 के आर्थिक संकट से निकाला, अमेरिका से परमाणु समझौता: प्रधानमंत्री के तौर पर ऐसा था मनमोहन सिंह का कार्यकाल

Manmohan Singh Passed Away: मनमोहन सिंह के जीवन के कुछ अनसुने किस्से और प्रेरक बातें उनकी सादगी, संघर्ष और नेतृत्व क्षमता को बहुत सुंदर रूप में प्रस्तुत करते हैं। आइये, जानते हैं उनके कुछ दिलचस्प और इंस्पिरेशनल किस्से:

प्रारंभिक संघर्ष: एक साधारण जीवन की शुरुआत

मनमोहन सिंह का जन्म पाकिस्तान के गाह गांव में हुआ था और विभाजन के समय उनका परिवार भारत आ गया। वे दिल्ली के एक छोटे से इलाके में रहे जहां आर्थिक तंगी थी। उन्होंने हमेशा यह कोशिश की कि जो कुछ भी उनके पास था, उससे वह अधिक हासिल करें। कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद ही वह भारतीय राजनीति में एक अहम स्थान हासिल कर पाए।

manmohan singh

सिंहासन की चढ़ाई: भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा बदलना

मनमोहन सिंह का नेतृत्व हमेशा शांत और प्रभावशाली था। जब वह 1991 में पीवी नरसिंह राव की सरकार में वित्त मंत्री बने, तब उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को बड़े बदलावों की ओर मोड़ा। उन्होंने खुले बाजार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए और एक नया आर्थिक दौर शुरू किया, लेकिन कभी भी किसी प्रदर्शन या प्रचार में भाग नहीं लिया। उनकी पूरी ऊर्जा देश की सेवा में थी।

शांति और स्थिरता: सत्ता में मनमोहन सिंह का नेतृत्व

2004 में जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने, तो उनके व्यक्तित्व की पहचान एक साधारण और शांत नेता के तौर पर बन गई। उनका स्वभाव हमेशा संयमित और स्थिर था, और उनकी सरकार ने हमेशा आवश्यक समय पर कड़े कदम उठाए। हालांकि, वह मीडिया की सुर्खियों से बचने में यकीन रखते थे, और यही उनकी सरलता और प्रभावशाली नेतृत्व का संकेत था।

manmohan singh dies

वित्तीय संकट 2008: वैश्विक चुनौती और भारत की सफलता

2008 में जब पूरे विश्व में वित्तीय संकट आया, तब मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बचाए रखने के लिए कई अहम कदम उठाए। उनके नेतृत्व में भारत ने कड़े आर्थिक निर्णय लेकर न केवल इस संकट से उबरा, बल्कि पूरी दुनिया के सामने अपने सिस्टम की मजबूती भी प्रदर्शित की।

भारत-अमेरिका परमाणु समझौता: कूटनीतिक सफलता

मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद, भारत और अमेरिका के बीच ऐतिहासिक परमाणु समझौता हुआ, जो भारत के लिए बड़े महत्व का था। इस समझौते के बावजूद, उनका व्यक्तित्व इतना विनम्र था कि उन्होंने हमेशा अपनी भूमिका को खुले दिल से स्वीकार किया और देश के लोगों को विश्वास में लिया।

सादगी और सौम्यता: एक प्रधानमंत्री की पहचान

मनमोहन सिंह का पहनावा कभी भी flashy या आकर्षक नहीं रहा। वह हमेशा साधारण, बिना किसी दिखावे के रहते थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उनका कपड़ा सरल और सादगीपूर्ण रहता था, जो उनके व्यक्तित्व का प्रतीक बन चुका था। इस सादगी ने उन्हें आम लोगों से बहुत प्यार दिलाया।

भारत रत्न: सम्मान और उपलब्धियां

मनमोहन सिंह को 2010 में भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया। यह पुरस्कार उनके द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए किए गए महत्वपूर्ण सुधारों और देश की सेवा में उनके योगदान के कारण दिया गया।

संसदीय भाषा में निपुणता: प्रभावी संवाद के रास्ते

मनमोहन सिंह की भाषा में हमेशा एक कूटनीतिक तीक्ष्णता होती थी। उनके शब्दों में गहराई और संजीदगी थी, और वह किसी भी मुद्दे पर अपने विचार बहुत सूझबूझ से प्रस्तुत करते थे। यही कारण है कि वह भारतीय राजनीति के एक गहरे और मजबूत प्रभाव वाले नेता बने।

आलोचनाओं के बावजूद धैर्य: मजबूत नेतृत्व की मिसाल

मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद, उन्होंने काफी आलोचनाओं का सामना किया, खासकर भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच। लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी नेतृत्व शैली को नहीं बदला और हमेशा धैर्य रखते हुए देश के कल्याण में जुटे रहे। उनकी यह स्थिरता और परिपक्वता उन्हें दूसरों से अलग करती थी।

ज्ञान और पारदर्शिता: नीति निर्माण में सत्यता का परिपालन

मनमोहन सिंह ने कभी भी अपने ज्ञान और अनुभव को छुपाया नहीं। उनका पूरा फोकस देश की अर्थव्यवस्था और विकास पर था, और वे यह सुनिश्चित करते थे कि जो भी निर्णय वे लें, वह पारदर्शी और जनता के भले के लिए हों।

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मनमोहन सिंह की जीवन यात्रा न केवल एक योग्य अर्थशास्त्री के रूप में बल्कि एक महान नेता के रूप में हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है। उनकी साधगी और दृढ़ निश्चय की कहानी देश को आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित करती रहेगी।

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