Balaji Chalisa: मंगलवार को 40 दिन जरूर पढ़ें श्री बालाजी चालीसा, दूर हो जाएंगे सारे संकट

Mangalwar Balaji Chalisa: हिंदू धर्म में सप्ताह के सातों दिन किसी न किसी देवता को समर्पित माने जाते हैं। मंगलवार का दिन विशेष रूप से संकटमोचक भगवान हनुमान को समर्पित होता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने से सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। मंगलवार के दिन बालाजी चालीसा पढ्ना अत्यंत कल्याणकारी है, इससे मनुष्य के जीवन मे आने वाले बड़े बड़े कष्ट दूर हो जाते हैं। आइए हमारे साथ पढ़िये ‘श्री बालाजी चालीसा’ और कीजिये अपनी बाधाओं को दूर।

मंगलवार का धार्मिक महत्व
मंगलवार को भगवान हनुमान की पूजा करने से व्यक्ति को बल, बुद्धि, और निर्भयता प्राप्त होती है। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु इस दिन विधि-विधान से हनुमान जी की आराधना करता है, उसके जीवन से भय, नकारात्मकता और बुरी शक्तियां दूर हो जाती हैं।

मंगलवार को भगवान मंगल (मंगल ग्रह) की भी विशेष पूजा की जाती है, जो ऊर्जा, आत्मविश्वास और पराक्रम के प्रतीक माने जाते हैं। मंगल दोष से पीड़ित जातकों को इस दिन पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।

मंगलवार के व्रत और उनकी महिमा
मंगलवार के दिन व्रत रखने से मनुष्य की इच्छाएं पूरी होती हैं और उसे मानसिक व शारीरिक बल प्राप्त होता है। इस दिन खासतौर पर गुड़-चना, बूंदी के लड्डू और हनुमान जी के प्रिय सिंदूर का चढ़ावा चढ़ाने से विशेष फल प्राप्त होता है।

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।। दोहा।।
श्री गुरु चरण चितलाय के धरें ध्यान हनुमान ।
बालाजी चालीसा लिखे “ओम” स्नेही कल्याण ।।
विश्व विदित वर दानी संकट हरण हनुमान ।
मेंहदीपुर में प्रगट भये बालाजी भगवान ।।

।।चौपाई।।
जय हनुमान बालाजी देवा । प्रगट भये यहां तीनों देवा ।।
प्रेतराज भैरव बलवाना । कोलवाल कप्तानी हनुमाना ।।
मेंहदीपुर अवतार लिया है । भक्तों का उद्धार किया है ।।
बालरूप प्रगटे हैं यहां पर । संकट वाले आते जहां पर ।।
डाकिनी शाकिनी अरु जिंदनीं । मशान चुड़ैल भूत भूतनीं ।।
जाके भय ते सब भग जाते । स्याने भोपे यहां घबराते ।।
चौकी बंधन सब कट जाते । दूत मिले आनंद मनाते ।।
सच्चा है दरबार तिहारा । शरण पड़े सुख पावे भारा ।।
रूप तेज बल अतुलित धामा । सन्मुख जिनके सिय रामा ।।
कनक मुकुट मणि तेज प्रकाशा । सबकी होवत पूर्ण आशा ।।
महंत गणेशपुरी गुणीले । भये सुसेवक राम रंगीले ।।
अद्भुत कला दिखाई कैसी । कलयुग ज्योति जलाई जैसी ।।
ऊंची ध्वजा पताका नभ में । स्वर्ण कलश है उन्नत जग में ।।
धर्म सत्य का डंका बाजे । सियाराम जय शंकर राजे ।।
आन फिराया मुगदर घोटा । भूत जिंद पर पड़ते सोटा ।।
राम लक्ष्मन सिय हृदय कल्याणा । बाल रूप प्रगटे हनुमाना ।।
जय हनुमंत हठीले देवा । पुरी परिवार करत है सेवा ।।
लड्डू चूरमा मिसरी मेवा । अर्जी दरखास्त लगाऊ देवा ।।
दया करे सब विधि बालाजी । संकट हरण प्रगटे बालाजी ।।

जय बाबा की जन जन उचारे । कोटिक जन तेरे आए द्वारे ।।
बाल समय रवि भक्षहि लीन्हा । तिमिर मय जग कीन्हो तीन्हा ।।
देवन विनती की अति भारी । छांड़ दियो रवि कष्ट निहारी ।।
लांघि उदधि सिया सुधि लाए । लक्ष्मण हित संजीवन लाए ।।
रामानुज प्राण दिवाकर । शंकर सुवन मां अंजनी चाकर ।।
केसरी नंदन दुख भव भंजन । रामानंद सदा सुख संदन ।।
सिया राम के प्राण पियारे । जय बाबा की भक्त ऊचारे ।।
संकट दुख भंजन भगवाना । दया करहु हे कृपा निधाना ।।
सुमर बाल रूप कल्याणा करे मनोरथ पूर्ण कामा ।।
अष्ट सिद्धि नव निधि दातारी । भक्त जन आवे बहु भारी ।।
मेवा अरु मिष्टान प्रवीना । भेंट चढ़ावें धनि अरु दीना ।।
नृत्य करे नित न्यारे न्यारे । रिद्धि सिद्धियाँ जाके द्वारे ।।
अर्जी का आदर मिलते ही । भैरव भूत पकड़ते तबही ।।
कोतवाल कप्तान कृपाणी । प्रेतराज संकट कल्याणी ।।
चौकी बंधन कटते भाई । जो जन करते हैं सेवकाई ।।
रामदास बाल भगवंता । मेंहदीपुर प्रगटे हनुमंता ।।
जो जन बालाजी में आते । जन्म जन्म के पाप नशाते ।।
जल पावन लेकर घर जाते । निर्मल हो आनंद मनाते ।।
क्रूर कठिन संकट भग जावे । सत्य धर्म पथ राह दिखावें ।।
जो सत पाठ करे चालीसा । तापर प्रसन्न होय बागीसा ।।
कल्याण स्नेही । स्नेह से गावे । सुख समृद्धि रिद्धि सिद्धि पावे ।।

।।दोहा।।
मंद बुद्धि मम जानके, क्षमा करो गुणखान ।
संकट मोचन क्षमहु मम, “ओम” स्नेही कल्याणा ।।

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