क्या डूबने वाला है IndusInd Bank! शेयर में 27% की गिरावट, क्या Yes Bank जैसी होगी हालत?

IndusInd Bank Share price: इंडसइंड बैंक के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली है, जिससे निवेशकों में घबराहट बढ़ गई है। मंगलवार को बैंक के स्टॉक प्राइस में 27% तक की गिरावट आई, जिसका असर निफ्टी बैंकिंग इंडेक्स पर भी पड़ा। इस अचानक आई गिरावट ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं—क्या इंडसइंड बैंक भी यस बैंक की राह पर जा सकता है? क्या निवेशकों को अपना पैसा निकाल लेना चाहिए? आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।

Induslnd Bank का मालिक कौन है?

इंडसइंड बैंक का मालिकाना हक ब्रिटिश-भारतीय उद्योग समूह हिंदुजा ग्रुप के पास है, जो भारत में अशोक लीलैंड जैसी प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनी का संचालन भी करता है। बैंक की स्थापना 1994 में हुई थी, जब इसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से लाइसेंस मिला था। यह उन नौ निजी बैंकों में से एक है, जिन्हें 1990 के दशक में बैंकिंग क्षेत्र में उदारीकरण के बाद अनुमति दी गई थी।

शेयरों में भारी गिरावट की वजह क्या है?

पिछले एक साल में इंडसइंड बैंक के शेयरों में 40% से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन मंगलवार को आई 27% की अचानक गिरावट ने बाजार को चौंका दिया। इस गिरावट का मुख्य कारण फॉरेक्स डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में हुई गड़बड़ी बताई जा रही है।

इंटरनल रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक के फॉरेक्स डेरिवेटिव अकाउंट में ₹1,600 से ₹2,000 करोड़ तक की गड़बड़ी पाई गई है। यह रकम बैंक की कुल नेटवर्थ का करीब 2.35% है। जब यह जानकारी सार्वजनिक हुई, तो निवेशकों का भरोसा डगमगाने लगा और इसका सीधा असर बैंक के शेयर प्राइस पर पड़ा।

क्या यह मामला Yes Bank जैसा है?

इंडसइंड बैंक की मौजूदा स्थिति यस बैंक के संकट से बिल्कुल मेल नहीं खाती, लेकिन कुछ समानताएं जरूर देखी जा सकती हैं। यस बैंक में कॉरपोरेट गवर्नेंस की अनदेखी और लोन अकाउंट्स में गड़बड़ी के कारण संकट गहराया था, जिसकी वजह से न केवल बैंक का शेयर क्रैश हुआ, बल्कि बैंक को बंद होने की कगार तक पहुंचा दिया। सरकार को यस बैंक को बचाने के लिए विशेष कदम उठाने पड़े थे।

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इंडसइंड बैंक के मामले में भी वित्तीय गड़बड़ी सामने आई है, लेकिन बैंक की वित्तीय स्थिति फिलहाल स्थिर मानी जा रही है। बैंक ने इस मुद्दे की जांच के लिए एक बाहरी एजेंसी नियुक्त की है, जो यह सुनिश्चित करेगी कि बैंक की पूंजी पर्याप्त बनी रहे और निवेशकों को कोई बड़ा नुकसान न हो।

फॉरेक्स डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में गड़बड़ी कैसे हुई?

फॉरेक्स डेरिवेटिव वे वित्तीय साधन होते हैं, जिनका भुगतान विदेशी मुद्रा विनिमय दर के आधार पर किया जाता है। इन्हें मुख्य रूप से हेजिंग (मुद्रा जोखिम से बचाव) और विदेशी मुद्रा लेनदेन में मदद के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने सितंबर 2023 में डेरिवेटिव्स से जुड़े नियमों में बदलाव किया था। इसके बाद इंडसइंड बैंक ने अपने लोन और डेरिवेटिव अकाउंट्स की इंटरनल जांच कराई। 10 मार्च को स्टॉक एक्सचेंज को सौंपी गई रिपोर्ट में पता चला कि बैंक ने हेजिंग कॉस्ट को गलत तरीके से आंका, जिससे अकाउंट्स का वैल्यूएशन बिगड़ गया। जब यह रिपोर्ट सार्वजनिक हुई, तो निवेशकों में घबराहट फैल गई और शेयर बाजार में 11 मार्च को इसका असर साफ दिखा।

निवेशकों पर क्या असर पड़ेगा?

इस गड़बड़ी के उजागर होने से न सिर्फ इंडसइंड बैंक के शेयरों में गिरावट आई, बल्कि इसका असर निफ्टी बैंकिंग इंडेक्स पर भी पड़ा।

बाजार पर असर: इंडसइंड बैंक के शेयर क्रैश होने से निफ्टी बैंकिंग इंडेक्स 0.75% तक गिर गया।

निवेशकों को नुकसान: बैंक के स्टॉक में निवेश करने वाले निवेशकों की संपत्ति में ₹15,000 करोड़ से अधिक की गिरावट देखी गई।

ब्रोकरेज फर्म्स का रुख बदला

Emkay Global ने इंडसइंड बैंक की ‘Buy’ रेटिंग को बदलकर ‘Add’ कर दिया और टारगेट प्राइस ₹875 तय किया।

Nuvama ने स्टॉक को ‘Hold’ या ‘Reduce’ करने की सलाह दी और टारगेट प्राइस ₹750 रखा।

Motilal Oswal ने इसे ‘Neutral’ रेटिंग दी और टारगेट प्राइस ₹925 तय किया।

क्या इंडसइंड बैंक बंद होने वाला है?

फिलहाल, इंडसइंड बैंक के बंद होने की कोई संभावना नहीं दिख रही है। बैंक ने गड़बड़ी की पहचान करने के बाद एक विस्तृत आंतरिक समीक्षा शुरू की है और एक बाहरी एजेंसी को ऑडिट करने की जिम्मेदारी सौंपी है।

यह एजेंसी यह सुनिश्चित करेगी कि बैंक के पास पर्याप्त पूंजी हो और उसकी वित्तीय स्थिति मजबूत बनी रहे। हालांकि, इस मामले में अगला कदम समीक्षा रिपोर्ट आने के बाद ही तय होगा। यदि बैंक इस मुद्दे को पारदर्शिता से हल करता है, तो निवेशकों का भरोसा दोबारा कायम हो सकता है। हालांकि, निकट भविष्य में इंडसइंड बैंक के शेयरों में अस्थिरता बनी रह सकती है।

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