8वां वेतन आयोग के गठन का फैसला कितना सही? भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या पड़ेगा असर?

गुरुवार को केंद्रीय सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन, भत्ते और पेंशन में वृद्धि का बड़ा फैसला लिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8वें वेतन आयोग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जैसा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया।

How right is the decision to formation the 8th Pay Commission? What will be the impact on Indian economy?

50 लाख कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों, सैन्य कर्मचारियों समेत, केंद्र सरकार में काम करते हैं। इस निर्णय से देश में विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ेगी, साथ ही सरकार पर वित्तीय बोझ भी बढ़ेगा।

8वें वेतन आयोग के गठन का फैसला अहम साबित होगा

भारतीय अर्थव्यवस्था अभी मांग की कमी से जूझ रही है, इसलिए इसका सकारात्मक असर होगा। दिल्ली में भी इस फैसले से चार लाख केंद्रीय कर्मचारी (सैन्य बल भी शामिल) लाभ उठाएंगे। दिल्ली चुनाव को देखते हुए, यह निर्णय महत्वपूर्ण हो सकता है।

रेल मंत्री वैष्णव ने बताया, ‘आजादी के बाद से ही एक निश्चित अंतराल पर केंद्रीय कर्मचारियों का वेतनमान बढ़ाने पर सुझाव देने के लिए वेतन आयोग का गठन किया जाता रहा है। अंतिम बार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें 2016 से प्रभावी हुई थीं। वैसे आठवें वेतन आयोग का गठन अगले वर्ष 2026 में किया जाना था, लेकिन प्रधानमंत्री ने यह फैसला अभी इसलिए किया है ताकि उसे सिफारिश देने और सरकार को उस पर फैसला करने के लिए पर्याप्त समय मिले।’

हम सब को उन सभी सरकारी कर्मचारियों के प्रयासों पर गर्व है, जो एक विकसित भारत के निर्माण के लिए काम कर रहे हैं। आठवें वेतन आयोग पर कैबिनेट के फैसले से जीवन की गुणवत्ता में सुधार आएगा और उपभोग को बढ़ावा मिलेगा।- नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री

मनमोहन सरकार ने गठित किया था 7वां वेतन आयोग

वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद जब वेतन-भत्ते आदि में वृद्धि होती है तो उससे पूरी इकोनॉमी पर सकारात्मक असर होता है। सातवें वेतन आयोग का गठन फरवरी 2014 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने किया था और उसकी सिफारिशों को मोदी सरकार ने एक जनवरी, 2016 से लागू किया था। वर्ष 2016-17 में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए सरकार के व्यय में एक लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई थी।

वेतन व पेंशन में वृद्धि (8th Pay Commission)

हालांकि, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को केंद्र ने पूरी तरह से लागू नही किया था। हालांकि केंद्र सरकार ने वेतन व पेंशन में वृद्धि का जो फैसला किया था उसकी वजह से केंद्र सरकार में न्यूनतम मूल वेतन 7,000 रुपये से बढ़ कर 18,000 रुपये प्रति माह और न्यूनतम पेंशन 3,500 रुपये से बढ़कर 9,000 रुपये प्रति माह हो गई थी। जबकि अधिकतम वेतन 2.50 लाख रुपये और अधिकतम पेंशन 1.25 लाख रुपये तय की गई थी।

सामान की मांग बढ़ेगी और सरकार का खजाना भी बढ़ेगा

सरकारी सूत्रों ने बताया, आम तौर पर देखा गया है कि वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू होने के दो-तीन वर्षों तक नए आवासों, कारों व घरेलू सामानों की मांग में तेजी रहती है। पर्यटन पर भी इसका सकारात्मक असर देखा जाता रहा है।

वैसे इसका असर महंगाई पर भी दिखता है क्योंकि बाजार में मांग बढ़ जाती है। साथ ही सरकार के राजस्व में इजाफा होता है क्योंकि ज्यादातर सरकारी कर्मचारी ज्यादा टैक्स देते हैं।

वेतन आयोग महंगाई से निपटने के लिए केंद्रीय कर्मियों एवं पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ते एवं महंगाई राहत में संशोधन के फार्मूले की भी सिफारिश करता है।

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