Haryana News – हरियाणा में इस वर्ष पराली जलाने के मामलों में कमी आयी है. सरकार द्वारा भी लगातार किसानों से पराली न जलाने की अपील की जा रही है.
29 प्रतिशत की कमी – Haryana News
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हरियाणा में अब तक पराली जलाने की कुल 713 घटनाएं आईसीएआर द्वारा दर्ज की गई हैं। जो पिछले वर्ष की घटनाओं की तुलना में 29% कम हैं।
धान के ठूंठ जलाने से वायु प्रदूषण होता है, मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती है। इसलिए सरकार द्वारा किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
28 अक्टूबर, 2024 तक 83,070 किसानों ने 7.11 लाख एकड़ धान क्षेत्र के प्रबंधन के लिए पंजीकरण कराया है। पंजीकरण की अंतिम तिथि 30 नवंबर 2024 है। सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा किसानों को सब्सिडी पर फसल प्रबंधन के उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
वर्ष 2018-19 से 2024-25 तक किसानों को कुल 1,00,882 फसल अवशेष प्रबंधन मशीनें 50 से 80% सब्सिडी पर उपलब्ध कराई गई हैं। चालू वर्ष में किसानों द्वारा 9,844 मशीनें खरीदी गई हैं।
अवशेषों के प्रबंधन हेतु किसानों को प्रति एकड़ एक हजार रुपए का प्रोत्साहन दिया जा रहा है। मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत धान क्षेत्र में अन्य फसलों को अपनाने हेतु प्रति एकड़ 7 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है।
इस वर्ष 33,712 किसानों ने 66,181 एकड़ के लिए धान के स्थान पर अन्य फसलों का विकल्प चुनकर फसल विविधीकरण के लिए पंजीकरण कराया है। वर्ष 2020-21 से 2023-24 तक किसानों को 223 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा चुकी है।
सरकार धान की सीधी बुवाई (डीएसआर) तकनीक अपनाने पर भी प्रति एकड़ 4 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दे रही है। गोशालाओं को प्रति एकड़ 500 रुपए की दर से बेलों के परिवहन शुल्क, अधिकतम 15,000 रुपए प्रोत्साहन स्वरूप दिया जा रहा है।
वर्ष 2020-21 से अब तक किसानों को दी 223 करोड़ रुपए प्रोत्साहन राशि
अब तक 334 चालान काटे, 8.45 लाख रुपए का जुर्माना वसूला सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि कानून का उल्लंघन करने पर अब तक कुल 334 चालान काटे गए हैं।
8.45 लाख रुपए का जुर्माना किसानों से वसूला गया है। अब तक ऐसे किसानों के खेतों के रिकॉर्ड में कुल 418 “रेड एंट्री” दर्ज की गई है व 192 किसानों पर केस दर्ज हुए हैं।