चंडीगढ़। अब हरियाणा में यूं ही गली-गली, खेत-खलिहान में नर्सरी खोलकर आम, अमरूद और नींबू के पौधे बेचते पकड़े गए, तो समझ लीजिए सीधा जेल जाना पड़ेगा। जी हां! सरकार अब पौधों की भी जनगणना और पहचान पत्र बनवाने जा रही है। हरियाणा सरकार जल्द ही “बागवानी पौधशाला विधेयक” लेकर आ रही है, जिसके बाद बिना लाइसेंस नर्सरी चलाना जुर्म होगा।
अगर किसी ने सोचा कि 5-10 गमले रखकर “गुप्ता नर्सरी” खोल ली और पेड़-पौधों का ‘कारोबार’ शुरू कर दिया, तो समझ लो भईया! साल भर की जेल और एक लाख तक का जुर्माना तय है। और अगर ये कांड किसी कंपनी ने किया तो उसके डायरेक्टर से लेकर चौकीदार तक सब हवालात में मिलेंगे।
पांच साल तक चलेगा लाइसेंस, लेकिन ‘इंस्पेक्टर’ का मूड देखना जरूरी
लाइसेंस एक बार बनवा लो, फिर पांच साल तक आराम से आम, लीची, कटहल बेच सकते हो। लेकिन उसके पहले साहब निरीक्षण करेंगे – कहीं नीम को आम तो नहीं बता रहे? सब कुछ दुरुस्त मिला तो लाइसेंस मिलेगा, वरना हाथ में एक नोटिस पकड़ा देंगे।
और हां, अगर कोई ‘चाचा जी’ दूसरे गांव में भी “गुप्ता नर्सरी पार्ट-2” खोलना चाहे, तो उसके लिए भी अलग से फीस देनी होगी। मतलब अब नर्सरी की भी ‘ब्रांच’ खोलनी है, तो परमिशन लेनी पड़ेगी।
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गड़बड़ की तो पौधे ही जब्त!
सरकार का प्लान एकदम ‘गारंटी’ वाला है। अगर नर्सरी में गड़बड़ मिली, तो लाइसेंस सस्पेंड। लेकिन अगर फिर भी चोरी-छिपे पौधे बेचते पकड़े गए, तो सरकार सीधे पौधे ही जब्त कर लेगी। सोच लो, पुलिस वाले ‘नींबू’ और ‘अमरूद’ उठाकर ले जाएंगे – केस बनेगा ‘अवैध पौधा तस्करी’ का!
गुम हो गया लाइसेंस? तो फिर से जुर्माना!
अगर गलती से लाइसेंस गुम हो गया या कुत्ता ले गया, तो दोबारा बनवाने के लिए फिर से फीस भरनी होगी। मतलब पौधों का धंधा करना है, तो अब हर पत्ते का हिसाब रखना पड़ेगा।