Hari Stotra in Hindi: होलाष्टक का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। यह आठ दिवसीय अवधि फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर होलिका दहन तक रहती है। मान्यताओं के अनुसार, इन आठ दिनों के दौरान शुभ कार्यों जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि को करने से बचना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस समय ग्रहों की स्थिति शुभ नहीं होती, जिससे शुभ कार्यों का सकारात्मक फल नहीं मिलता।
हालांकि, इस दौरान देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करना और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना शुभ माना जाता है। खासतौर पर भगवान विष्णु की उपासना का महत्व अधिक बताया गया है। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि होलाष्टक के दिनों में श्रीहरि स्तोत्र का पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
होलाष्टक में श्रीहरि स्तोत्र का महत्व (Vishnu Stotra)
ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी के अनुसार, होलाष्टक के दौरान श्रीहरि स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत शुभ माना गया है। इस अवधि में भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

हरि स्तोत्र (hari stotra in hindi pdf, hari stotra sankirtan)
जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालं
शरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं
नभोनीलकायं दुरावारमायं
सुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं ॥1
सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासं
जगत्सन्निवासं शतादित्यभासं
गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रं
हसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं ॥2
रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारं
जलान्तर्विहारं धराभारहारं
चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपं
ध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं ॥3
जराजन्महीनं परानन्दपीनं
समाधानलीनं सदैवानवीनं
जगज्जन्महेतुं सुरानीककेतुं
त्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं ॥4
कृताम्नायगानं खगाधीशयानं
विमुक्तेर्निदानं हरारातिमानं
स्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलं
निरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं ॥5
समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशं
जगद्विम्बलेशं ह्रुदाकाशदेशं
सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहं
सुवैकुण्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं ॥6
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सुरालिबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठं
गुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठं
सदा युद्धधीरं महावीरवीरं
महाम्भोधितीरं भजेऽहं भजेऽहं ॥7
रमावामभागं तलानग्रनागं
कृताधीनयागं गतारागरागं
मुनीन्द्रैः सुगीतं सुरैः संपरीतं
गुणौधैरतीतं भजेऽहं भजेऽहं ॥8
फलश्रुति
इदं यस्तु नित्यं समाधाय चित्तं
पठेदष्टकं कण्ठहारम् मुरारे:
स विष्णोर्विशोकं ध्रुवं याति लोकं
जराजन्मशोकं पुनर्विन्दते नो ॥
होलाष्टक में श्रीहरि स्तोत्र का पाठ करने का महत्व
होलाष्टक होली के पहले के 8 दिनों की अवधि है। ऐसा माना जाता है कि इन दिनों में नकारात्मक ऊर्जा और ग्रहों का प्रभाव अधिक होता है। इसलिए, इन दिनों में शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि वर्जित होते हैं। श्रीहरि स्तोत्र भगवान विष्णु का सबसे सौभाग्यशाली स्तोत्र है।
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इसका पाठ करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आप होलाष्टक के दौरान प्रतिदिन सुबह या शाम के समय श्रीहरि स्तोत्र का पाठ करें। पाठ करते समय भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र को अपने सामने रखें।