World Economy: अमेरिकी शेयर बाजार में सोमवार को आई तेज गिरावट ने वैश्विक मंदी की आशंका को फिर से बढ़ा दिया है। नैस्डैक में करीब 4% की गिरावट दर्ज की गई, जिससे यह अपने छह महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया। इसी तरह, S&P 500 इंडेक्स अपने फरवरी के उच्चतम स्तर से 8% और दिसंबर के सर्वकालिक उच्च स्तर से 10% नीचे आ चुका है।
इस गिरावट के पीछे मुख्य कारण अमेरिका की टैरिफ नीतियां बताई जा रही हैं, जो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापारिक रणनीतियों से जुड़ी हैं। जानकारों का मानना है कि यदि अमेरिका ने अपने व्यापार युद्ध (ट्रेड वॉर) को जारी रखा, तो मंदी से बचना मुश्किल हो सकता है। इसका असर न केवल अमेरिका बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। अगर मंदी आती है तो इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं। लाखों लोग अपनी नौकरी खो सकते हैं, कारोबार बंद हो सकते हैं और कर्ज बढ़ सकता है।
मंदी की आशंका क्यों हुई पैदा?
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी की बढ़ती आशंका निवेशकों के लिए चिंता पैदा कर रही है। गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) ने मंदी की संभावना 15% से बढ़ाकर 20% कर दी है, जबकि जेपी मार्गन ने इसे और भी बढ़ाकर 40% कर दिया है। फिच रेटिंग्स में US क्षेत्रीय अर्थशास्त्र के प्रमुख ओलु सोनोला (Olu Sonola) ने कहा कि मंदी का खतरा असली है। यह एक ऐसा खतरा है जिसे आप नजरअंदाज नहीं कर सकते।
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अमेरिकी ट्रेड वॉर के आर्थिक प्रभाव को लेकर अनिश्चितता ने इन आशंकाओं को और बढ़ा दिया है। इससे बाजार का विश्वास तेजी से कम हुआ है। जानकारों के मुताबिक अगर ट्रेड वॉर बंद नहीं होता है तो अमेरिका में मंदी आ सकती है। इसका असर दुनिया भर में दिखाई देगा।
क्या मिल रहे संकेत?
अर्थशास्त्री मंदी के लिए एक सरल परिभाषा का उपयोग करते हैं- लगातार दो तिमाहियों में आर्थिक संकुचन। हालांकि अमेरिका अभी तक उस सीमा तक नहीं पहुंचा है, लेकिन चेतावनी के संकेत मिल रहे हैं। उपभोक्ता विश्वास डूब रहा है, नौकरी में वृद्धि धीमी हो रही है और व्यवसाय निवेश में कटौती कर रहे हैं।
भारत पर क्या होगा असर?
अमेरिका में मंदी आने से भारत पर भी इसका काफी असर पड़ेगा। पहला, भारतीय शेयर मार्केट में और गिरावट आ सकती है। भारतीय शेयर मार्केट पहले ही गिरावट के दौर से गुजर रही है। पिछले 6 महीने में सेंसेक्स 9 फीसदी से ज्यादा लुढ़क चुका है।
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वहीं दूसरी ओर भारत के आईटी और फार्मा जैसे सेक्टर निर्यात पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं। ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की नीतियां मददगार साबित नहीं हो रही हैं। अमेरिका में मंदी से इन सेक्टर पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, जिसका नकारात्मक असर दिखाई दे सकता है।
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