Family ID Problem: फरीदाबाद में कई असली गरीबों के बीपीएल कार्ड फैमिली आईडी (Family id) की गलतियों के कारण रद्द कर दिए गए हैं। जिनके पास साइकिल तक नहीं है उनके नाम पर टाटा टियागो जैसी गाड़ियां और लाखों की आमदनी दर्ज कर दी गई। अब ये लोग राशन से वंचित हैं और सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
फरीदाबाद: जहां एक तरफ सरकार अमीर लोगों से अपील कर रही है कि वो खुद आगे आकर बीपीएल सूची से बाहर हों। वहीं दूसरी तरफ कई असली गरीब लोगों का बीपीएल कार्ड विभागीय गलती के चलते रद्द किया जा रहा है। जिनके पास दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल है उनके फैमिली आईडी में चार पहिया गाड़ी और लाखों की इनकम दिखाई जा रही है।
सरकारी राशन पर निर्भर है गरीब परिवार
ऐसे सैकड़ों परिवार हैं जो सरकारी राशन पर ही निर्भर हैं। अब जब बीपीएल कार्ड रद्द हो गया है, तो उन्हें राशन नहीं मिल रहा। परेशान लोग काम-धंधा छोड़कर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं और घंटों लाइन में लगकर खड़े हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।
लालपुर गांव के प्रदीप चौहान ने बताया कि उनके फैमिली आईडी में चार पहिया गाड़ी दिखाई गई है, जबकि उनके पास साइकिल तक नहीं है। उनकी सालाना आमदनी सिर्फ 1 लाख 20 हजार रुपये है। पहले उन्हें राशन मिल रहा था, लेकिन इसी महीने उनका नाम काट दिया गया।
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फरीदाबाद से आए प्रवेश कुमार ने बताया कि उनके फैमिली आईडी कार्ड में किसी प्रवीण कुमार के नाम से गाड़ी दिखाई गई है। नाम और पता दोनों गलत हैं। उनके पास सभी डॉक्यूमेंट मौजूद हैं, लेकिन कल जब उनकी मां ने अंगूठा लगाया तो फिंगरप्रिंट तक मैच नहीं हुआ। कार्ड में टाटा टियागो जैसी गाड़ी दिखाई गई है, जिसकी कीमत करीब 5 लाख है, जबकि उनकी इतनी आमदनी भी नहीं है कि वो ऐसी गाड़ी खरीद सकें।
गलती को ठीक करे विभाग ताकि दोबारा राशन मिल सके
लाइन में खड़ी महिला अजरून निशा ने कहा कि उन्हें एक साल से राशन नहीं मिल रहा। कार्ड में 5 लाख की आमदनी दिखा दी गई है, जबकि वो मजदूरी करके जैसे तैसे घर चलाती हैं। उनका बेटा भी बीमार है। भीम सिंह और उनके पिता कृष्ण दत्त ने भी यही समस्या बताई। दोनों मजदूरी करके परिवार का पेट पालते हैं। उनके कार्ड में भी गाड़ी दिखाई गई है और नाम भी गलत है। पिछले महीने उनका नाम भी बीपीएल सूची से हटा दिया गया। लोगों की मांग है कि फैमिली आईडी में जो गलत जानकारी दर्ज है उसे जल्द से जल्द ठीक किया जाए, ताकि उन्हें दो वक्त की रोटी फिर से नसीब हो सके।