Masala Scandal: दिल्ली-एनसीआर वालों, जरा ध्यान दीजिए… आपके किचन में खुशबूदार गरम मसाले की जगह कहीं लकड़ी का बुरादा तो नहीं पक रहा? हल्दी में सड़ी हुई मिट्टी की खुशबू आ रही है? और मिर्च में रंग तो ऐसा है कि लगे होली में लगा लो! अगर ऐसा है तो जनाब, समझ जाइए – आपका खाना अब डाइटिंग नहीं, डायनिंग करवा रहा है… वो भी सीधे अस्पताल की!
छापेमारी में खुली किचन की काली सच्चाई
दिल्ली पुलिस जब करावल नगर पहुंची तो मसाले नहीं… बुरादे के ढेर मिले। 15,000 किलो नकली मसाले बरामद हुए – लकड़ी का बुरादा, सड़े चावल और जामुन की गुठली से बने ये ‘मसाले’ देखकर पुलिस वाले भी सोच में पड़ गए कि अब तक हम खा क्या रहे थे? अजमेर में तो हद ही हो गई… 18,000 लीटर नकली रिफाइंड तेल मिला, जिसे ब्रांडेड लेबल चिपकाकर बेचा जा रहा था। मतलब ‘शुद्ध’ के नाम पर ‘शुद्ध मिलावट’ परोसी जा रही है!
मसालों का महा-मिलावट मंत्र
अब सुनिए, कैसे बन रहे हैं ये चमत्कारी मसाले।
अमचूर पाउडर बना सड़े चावल, जामुन और लकड़ी के बुरादे से।
मिर्च पाउडर में खराब मिर्च, रंग और सड़ा चावल।
धनिया पाउडर में 10% असली धनिया और 90% बुरादा, बाजरा और केमिकल।
गरम मसाला में यूकेलिप्टस के पत्ते, सड़े जामुन और पॉलिश – खाओ और गले में जामुन की खुशबू पाओ।
हल्दी पाउडर ऐसा कि साड़ी हुई हल्दी और मिट्टी मिलाकर ‘स्वर्ण रंग’ बनाया जा रहा है!
घी नहीं, सस्ता जहर
घी तो भाईसाहब ऐसा बना रहे हैं कि सुनकर ही हार्ट अटैक आ जाए! ब्रांडेड डिब्बे से 60% असली घी निकालकर उसमें रिफाइंड और एसेंस डालकर दोबारा सील कर देते हैं। ऊपर से टूथपेस्ट भी नकली… वो भी केमिकल से भरपूर! भाई, अब तो मुंह धोना भी खतरे से खाली नहीं।
बीमारियों की बारात लेकर आ रही ये मिलावट
डॉक्टर कहते हैं – इन चीजों में ट्रांस-फैटी एसिड, केमिकल और कैंसर पैदा करने वाले तत्व मिलाए जा रहे हैं। नतीजा – मोटापा, दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर और कैंसर तक बुलावा भेजने में देर नहीं लगेगी।
80-20 फॉर्मूला – नकली जीरे की कहानी
अब सुनिए जीरे की असली कहानी… नहीं, नकली वाली! बवाना में जीरा बना – जंगली घास (फुल झाड़ू वाली), स्टोन पाउडर और गुड़ के शीरे से। 80% नकली और 20% असली मिलाकर बेचा जा रहा था… जी हां, हमारे दाल तड़के का ‘हीरो’ असल में ‘विलेन’ निकला!
कहां है इनका अड्डा?
ये पूरा गैंग गांव देहात, सुनसान इलाकों और दिल्ली के बुराड़ी, वजीराबाद, लोनी, खारी बावली और सदर बाजार जैसे एरिया में बैठा है। सप्लाई चेन ऐसी कि देश ही नहीं, नेपाल-बांग्लादेश तक पहुंच रही है।
भाई लोग, बचना है तो समझदारी दिखाओ
अब बताइए… सस्ते के चक्कर में बीमारियों का पिटारा खोलोगे क्या? इसलिए अगली बार मसाला खरीदते वक्त पैकिंग देखो, ब्रांड देखो, तारीख देखो और दाम देखो… क्योंकि जो सस्ता दिखे, उसमें मिलावट का खेल हो सकता है।
अंत में बस इतना…
भाइयों और बहनों… अब मसालों में स्वाद नहीं, जहर घुल रहा है। खाना बनाओ तो जरा सोचो, कहीं चटकारे के साथ ‘कैंसर’ तो नहीं पक रहा? सतर्क रहो, जागरूक बनो और इस खबर को फैलाओ… क्योंकि ‘मिलावटखोरी’ के खिलाफ लड़ाई जरूरी है।
और हां… अगली बार कोई बोले ‘दाल में कुछ काला है’, तो समझ जाओ… पूरी दाल ही नकली है!