2025 मे लगेंगे कुल 4 ग्रहण: पहला सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण की तिथि

साल 2025 में कुल चार ग्रहण लगेंगे—दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण। यहां जानिए 2025 में होने वाले ग्रहणों की तारीखें:

पहला सूर्य ग्रहण: 14 जनवरी 2025

प्रकार: आंशिक सूर्य ग्रहण, इस दिन आपको ब्लड मून का अद्भुत नजारा भी देखने को मिलेगा।
समय: यह ग्रहण भारत में सुबह के समय देखा जा सकता है।
दृष्टिगोचरता: यह ग्रहण दक्षिणी और पूर्वी भागों में देखा जाएगा, और भारत में कुछ हिस्सों में इसे आंशिक रूप से देखा जा सकेगा।

पहला चंद्र ग्रहण: 7 मई 2025

प्रकार: आंशिक चंद्र ग्रहण
समय: यह ग्रहण रात में दिखाई देगा।
दृष्टिगोचरता: भारत के अधिकांश हिस्सों से यह ग्रहण देखा जा सकेगा। यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा, जिसमें चंद्रमा के कुछ हिस्से पर पृथ्वी की छाया पड़ेगी।

दूसरा सूर्य ग्रहण: 2 अक्टूबर 2025

प्रकार: वलयाकार सूर्य ग्रहण
समय: यह ग्रहण भारत में सुबह से पहले और शाम के बीच दिखेगा।
दृष्टिगोचरता: वलयाकार सूर्य ग्रहण पूरी दुनिया में कुछ हिस्सों से देखा जा सकेगा, लेकिन भारत में केवल कुछ स्थानों पर इसकी आंशिक स्थिति दिखाई देगी।

दूसरा चंद्र ग्रहण: 28 अक्टूबर 2025

प्रकार: पूर्ण चंद्र ग्रहण
समय: यह ग्रहण रात में दिखाई देगा और लंबा होगा।
दृष्टिगोचरता: यह ग्रहण पूरी दुनिया में देखा जा सकेगा और भारत में भी यह पूरे चंद्र ग्रहण के रूप में देखा जाएगा।
इस प्रकार, साल 2025 में कुल चार ग्रहण होंगे, जिनमें से दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण होंगे।

सूर्य ग्रहण कब लगता है?

सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है और सूर्य की रोशनी को पूरी तरह या आंशिक रूप से रोकता है। इसका मतलब है कि चंद्रमा सूर्य के सामने आता है और उसकी रोशनी पृथ्वी पर नहीं पहुँच पाती।

सूर्य ग्रहण के प्रकार:

पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse):
जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है, तो सूर्य की रोशनी पूरी तरह से अंधेरे में बदल जाती है। यह अनुभव धरती पर एक दिन में रात जैसा होता है।

आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse):

जब चंद्रमा सूर्य के कुछ हिस्से को ढकता है, लेकिन पूरी तरह से नहीं। इससे सूर्य के कुछ हिस्से की रोशनी पृथ्वी पर पहुँचती है।

वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annular Solar Eclipse):

जब चंद्रमा सूर्य के मुकाबले बहुत छोटा प्रतीत होता है, तो सूर्य का बाहरी हिस्सा दिखाई देता है, जिससे सूर्य के चारों ओर एक “रिंग” (उल्लू) बन जाती है। इसे “रिंग ऑफ फायर” भी कहते हैं।

चंद्र ग्रहण कब लगता है?

चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इसका मतलब है कि पृथ्वी अपनी छाया से चंद्रमा को ढक लेती है और तब चंद्रमा पर अंधेरा हो जाता है।

चंद्र ग्रहण के प्रकार:

पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse):
जब पृथ्वी की पूरी छाया चंद्रमा पर पड़ती है और चंद्रमा पूरी तरह अंधेरा हो जाता है। इस दौरान चंद्रमा को लाल रंग में दिखने की संभावना होती है, जिसे “ब्लड मून” कहते हैं।

आंशिक चंद्र ग्रहण (Partial Lunar Eclipse):

जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा के केवल कुछ हिस्से को ढकती है और बाकी हिस्सा रोशन रहता है।

मध्यम चंद्र ग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse):

जब चंद्रमा पृथ्वी की हल्की छाया (penumbra) से गुजरता है और उसे पूरी तरह से अंधेरा नहीं होता है, बल्कि उसमें हल्का सा धुंधला प्रभाव पड़ता है।

कब-कब होते हैं सूर्य और चंद्र ग्रहण?

सूर्य ग्रहण हर साल 2 से 5 बार होते हैं, लेकिन यह ग्रहण एक निश्चित स्थान पर कभी-कभी 100-200 सालों के बाद दिखाई देते हैं, क्योंकि ग्रहण का दिखना हर स्थान पर सीमित होता है।

चंद्र ग्रहण हर साल 2 से 3 बार होते हैं और यह ग्रहण पूरे पृथ्वी पर देखा जा सकता है, जब तक मौसम साफ हो और चंद्रमा आकाश में दिखाई दे।

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