चंद्र ग्रहण 2025: तुलसी से जुड़ी इन 10 गलतियों से बचें, वरना हो सकता है अशुभ प्रभाव

हिंदू धर्म में तुलसी (पवित्र तुलसी) का विशेष महत्व है, और इसे अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना जाता है। तुलसी के पौधे की नियमित पूजा और देखभाल से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है। चंद्र ग्रहण के दौरान तुलसी से संबंधित कुछ विशेष सावधानियाँ बरतनी आवश्यक होती हैं, क्योंकि इस अवधि में तुलसी के पौधे के साथ कुछ गलतियाँ करने से अशुभ प्रभाव पड़ सकते हैं। इस लेख में, हम चंद्र ग्रहण 2025 के संदर्भ में तुलसी से जुड़ी उन गलतियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जिन्हें भूलकर भी नहीं करना चाहिए, अन्यथा यह आपके जीवन में नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

सूतक काल और तुलसी का स्पर्श:

    चंद्र ग्रहण से पूर्व सूतक काल प्रारंभ होता है, जो ग्रहण के नौ घंटे पहले से शुरू होता है। इस अवधि में तुलसी के पौधे को स्पर्श करना वर्जित माना जाता है। ऐसा करने से मां लक्ष्मी रुष्ट हो सकती हैं, जिससे व्यक्ति को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, सूतक काल से लेकर ग्रहण समाप्ति तक तुलसी के पौधे को स्पर्श करने से बचना चाहिए।

    तुलसी के पत्तों का संग्रहण:

      ग्रहण के दौरान भोजन और पेय पदार्थों में तुलसी के पत्ते डालने की परंपरा है, ताकि वे दूषित न हों। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि तुलसी के पत्ते सूतक काल से पहले ही तोड़ लिए जाएं। सूतक या ग्रहण काल में तुलसी के पत्ते तोड़ना अशुभ माना जाता है और इससे मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं, जिससे दुर्भाग्य और दरिद्रता का सामना करना पड़ सकता है।

      तुलसी के पौधे की सुरक्षा:

        ग्रहण के अशुभ प्रभाव से तुलसी के पौधे की रक्षा के लिए कुछ विशेष उपाय किए जाते हैं। तुलसी के गमले पर गेरू (लाल मिट्टी) लगाने से पौधे का बचाव होता है। इसके अलावा, ग्रहण के दौरान तुलसी के पौधे को खुले में न रखें; सूतक काल से ग्रहण समाप्ति तक उसे सूती कपड़े से ढककर रखें। यह उपाय पौधे को नकारात्मक ऊर्जा से बचाने में सहायक होता है।

        तुलसी के पत्तों का उपयोग:

          ग्रहण के दौरान, जिन खाद्य या पवित्र वस्तुओं में आप तुलसी के पत्ते डाल रहे हैं, वे स्वच्छ और सात्विक होनी चाहिए। खंडित या अशुद्ध पत्तियों का उपयोग न करें, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है। तुलसी के पत्तों को नाखून या झटके से नहीं तोड़ना चाहिए; पहले तुलसी को प्रणाम करें और फिर हल्के हाथ से पत्ते तोड़ें।

          तुलसी के पौधे की देखभाल:

            ग्रहण के दौरान तुलसी के पौधे की विशेष देखभाल आवश्यक है। पौधे को नियमित रूप से जल दें, लेकिन ग्रहण के समय जल अर्पित करने से बचें। ग्रहण के बाद पौधे पर गंगाजल का छिड़काव करें और उसकी पूजा करें, ताकि किसी भी नकारात्मक प्रभाव को समाप्त किया जा सके।

            ग्रहण के बाद स्नान और शुद्धिकरण:

              ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करना और घर की सफाई करना आवश्यक है। तुलसी के पौधे के आसपास गंगाजल का छिड़काव करें और उसकी पुनः पूजा करें। यह प्रक्रिया घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और किसी भी अशुभ प्रभाव को समाप्त करती है।

              गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सावधानी:

                गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। उन्हें तुलसी के पौधे के पास जाने से बचना चाहिए और ग्रहण के समय घर के अंदर ही रहना चाहिए। यह माना जाता है कि ग्रहण के दौरान बाहर निकलने से गर्भ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

                धार्मिक अनुष्ठान और मंत्र जाप:

                  ग्रहण के दौरान धार्मिक अनुष्ठान और मंत्र जाप करने से नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। तुलसी के पौधे के पास बैठकर ‘ओम नमः शिवाय’ या ‘ओम चंद्राय नमः’ मंत्र का जाप करना लाभकारी होता है। यह मानसिक शांति प्रदान करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।

                  भोजन और जल का संरक्षण:

                    ग्रहण के दौरान भोजन और जल में तुलसी के पत्ते डालने से वे दूषित नहीं होते। यह एक प्राचीन परंपरा है जो आज भी प्रासंगिक है। तुलसी में एंटीबायोटिक गुण होते हैं, जो भोजन को सुरक्षित रखते हैं। सूतक काल से पहले ही भोजन और जल में तुलसी के पत्ते डालें और ग्रहण समाप्ति के बाद उन्हें हटा दें।

                    तुलसी के पौधे का स्थान:

                      तुलसी के पौधे को हमेशा स्वच्छ और पवित्र स्थान पर रखें। ग्रहण के दौरान उसे ढककर रखना आवश्यक है, ताकि वह नकारात्मक ऊर्जा से प्रभावित न हो। इसके अलावा, पौधे के आसपास दीपक जलाना शुभ माना जाता है, जो सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

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