भारत सरकार ने साइबर अपराधों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा ब्लैकलिस्ट बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम फर्जी सिम कार्ड (Sim Card), धोखाधड़ी वाले मैसेज, और साइबर अपराध पर लगाम लगाने के लिए उठाया जा रहा है। खासतौर से ऐसे लोग जो फर्जी तरीके से सिम कार्ड लेते हैं या फ्रॉड मैसेज भेजते हैं, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
क्या है पूरा मामला?
दूरसंचार विभाग के नए साइबर सुरक्षा नियमों के तहत कई बदलाव किए जा रहे हैं, जो साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ नागरिकों को डिजिटल दुनिया में सुरक्षित बनाएंगे। इस नई प्रक्रिया में विशेष रूप से निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है:
फर्जी नाम पर सिम कार्ड लेना अब अपराध माना जाएगा।
फ्रॉड मैसेज भेजने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
ऐसे व्यक्तियों को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा, और उनके सिम कार्ड ब्लॉक कर दिए जाएंगे।
ब्लैकलिस्टिंग का असर
जब कोई व्यक्ति ब्लैकलिस्ट होता है, तो उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। जिनके नाम ब्लैकलिस्ट में होंगे, वे 6 महीने से लेकर 3 साल तक नया सिम कनेक्शन (Sim Card) नहीं ले सकेंगे।
ब्लैकलिस्ट किए गए सिम कार्ड तुरंत प्रभाव से बंद (Sim Card closed) कर दिए जाएंगे।
ब्लैकलिस्टिंग से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उन व्यक्तियों का मोबाइल नेटवर्क सेवा पर कोई भी गलत प्रभाव न पड़े, और धोखाधड़ी में कोई जालसाजी न हो।
कार्रवाई की प्रक्रिया
सरकार ने इस कदम को पूरी पारदर्शिता और कानूनी तरीके से लागू करने की योजना बनाई है। प्रक्रिया में निम्नलिखित कदम शामिल होंगे:
संबंधित व्यक्ति को नोटिस जारी किया जाएगा।
व्यक्ति को 7 दिनों के भीतर उत्तर देने का अवसर मिलेगा।
सार्वजनिक सुरक्षा के चलते, सरकार बिना नोटिस दिए भी कार्रवाई कर सकती है, खासकर जब साइबर सुरक्षा को खतरा हो।
2025 से सख्त प्रावधान होंगे लागू
2025 से, इन सख्त प्रावधानों को पूरी तरह से लागू किया जाएगा। इसके अंतर्गत ब्लैकलिस्टिंग की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो जाएगी। साथ ही, साइबर अपराधियों की जानकारी को एक रिपोजिटरी ऑफ पर्सन में दर्ज करने की योजना है, जिससे भविष्य में इन्हें ट्रैक और पहचान करना आसान होगा।
साइबर सुरक्षा के लिए नए प्रावधान
साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार ने नवंबर 2024 में नए टेलीकॉम एक्ट के तहत कई नए नियम और प्रावधान जोड़े हैं। इन नियमों का उद्देश्य केवल फर्जीवाड़ा रोकना नहीं, बल्कि एक सुरक्षित और सुरक्षित डिजिटल अनुभव प्रदान करना है, जिससे नागरिकों को साइबर अपराधों से बचाया जा सके और सुरक्षित सेवा मिल सके।