फिल्म का नाम: UI Movie
रिलीज़ डेट: 20 दिसंबर 2024
रेटिंग: 2.5/5
कलाकार: उपेंद्र, सनी लियोनी, रेशमा नानैया, मुरली शर्मा
निर्देशक: उपेंद्र
प्रोड्यूसर: जी. मनोहरन, केपी श्रीकांत
संगीत निर्देशक: बी अजनीश लोकनाथ
सिनेमैटोग्राफर: एच.सी. वेणु
संपादक: विजय राज बीजी
UI Movie Review: Upendra’s Dystopian Philosophical Satire Falls Short

UI Movie कहानी:
‘UI’ की कहानी सत्या (उपेंद्र) की है, जो एक डिस्टोपियन भविष्य की झलकियां देखता है और मानसिक संघर्ष से जूझ रहा है। उसका दूसरा रूप, कल्कि (उपेंद्र), दुनिया के विनाश के खिलाफ उसके गुस्से का प्रतीक है। दोनों का संघर्ष तेज़ी से बढ़ता है जब वे भ्रष्ट राजनीतिज्ञ वामना राव से मिलते हैं, जो शक्ति के लिए लोगों का शोषण करता है। सत्या को अपनी आंतरिक समस्याओं को पार पाकर कल्कि की शक्ति का उपयोग अच्छे के लिए करना होता है। कहानी का मुख्य उद्देश्य यही है।
प्लस प्वाइंट्स:
फिल्म का मूल विचार बहुत अच्छा है, जिसमें यह दर्शाया गया है कि कैसे आजकल लोग दूसरों की समस्याओं में तो उलझे रहते हैं, लेकिन अपने मूल अधिकारों को अनदेखा करते हैं और सत्य के लिए लडऩा भूल जाते हैं। इसे बहुत ही दार्शनिक तरीके से पेश किया गया है।
उपेंद्र का प्रदर्शन बहुत शानदार है, उनके किरदारों की चयन और दोनों किरदारों (कल्कि और सत्या) को अदा करने की शैली बहुत प्रभावशाली है। फिल्म का निर्माण डिज़ाइन भी बहुत अच्छा है और दूसरे हाफ में फिल्म के प्रमुख बिंदु अच्छी तरह से पेश किए गए हैं।
कुल मिलाकर, उपेंद्र ने अपनी फिल्म के माध्यम से समाज के अच्छे और बुरे पहलुओं को दर्शाया और यह दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है।
माइनस प्वाइंट्स:
फिल्म की दार्शनिकता अच्छी होने के बावजूद इसकी कथानक ओवर-द-टॉप है और पहले आधे घंटे में आपको पूरी कहानी समझने में समय लगेगा। कई दृश्य अत्यधिक जटिल हैं और आम दर्शक उन्हें आसानी से नहीं समझ पाएंगे। फिल्म का पहला भाग कुछ ज्यादा ही शोर-शराबे से भरा है, जो देखने में बोरिंग हो सकता है।
फिल्म की टोन बहुत कड़ी और भारी है, जबकि उपेंद्र को आमतौर पर अधिक हल्के-फुल्के और मज़ेदार तरीके से फिल्में प्रस्तुत करने के लिए जाना जाता है। ‘UI’ में यह कमी महसूस होती है।
तकनीकी पहलू:
फिल्म के लिए किया गया VFX बहुत अच्छा है और यह आपको दूसरी दुनिया में ले जाता है। अजनीश लोकनाथ का संगीत अच्छा है और उन्होंने फिल्म की गति को बढ़ाने में मदद की है। फिल्म का सेट डिज़ाइन और ग्राफ़िक्स भी बहुत आकर्षक हैं।
दक्षिणी संस्करण का डबिंग भी अच्छे से किया गया है। हालांकि, फिल्म के पहले आधे घंटे में संपादन में कमी है और कम से कम दस मिनट कम किए जा सकते थे।
निर्देशक उपेंद्र, जिन्होंने हमेशा आम लोगों की वास्तविक समस्याओं को अपने फिल्मों में प्रस्तुत किया है, इस फिल्म में अपने इस उद्देश्य को कड़ी से कड़ी चढ़ाई पर ले जाते हैं, लेकिन उनकी मज़ेदार शैली की कमी महसूस होती है।
निष्कर्ष:
कुल मिलाकर, ‘UI’ एक दार्शनिक सामाजिक नाटक है, जो आजकल की कठोर वास्तविकताओं को दिखाता है। फिल्म को एक व्यंग्यात्मक तरीके से पेश किया गया है और यह एक काल्पनिक दुनिया में सेट है। फिल्म की कहानियों और प्रस्तुतिकरण की शैली काफी ओवर-द-टॉप है, जिसे केवल कुछ लोग ही पसंद कर सकते हैं।
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